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नव वर्ष अभिनंदन

शुभ कामनाएँ

         

नए साल की शुभकामनाएँ
खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को
नए साल की शुभकामनाएँ

जाते के गीतों को बैलों की चाल को
करघे को कोल्हू को मछुओं के जाल को
नए साल की शुभकामनाएँ

इस पकती रोटी को बच्चों के शोर को
चौंके की गुनगुन को चूल्हे की भोर को
नए साल की शुभकामनाएँ

वीराने जंगल को तारों को रात को
ठंडी दो बंदूकों में घर की बात को
नए साल की शुभकामनाएँ

इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल को
सिगरेट की लाशों पर फूलों से ख़याल को
नए साल की शुभकामनाएँ

कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को
हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को
नए साल की शुभकामनाएँ

उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए साल की शुभकामनाएँ

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

  

हो शुभ बहुत ये साल नया

हो शुभ बहुत ये साल नया
वो बीत गया जो साल गया
मुंडेर की ओट से हाथ हिलाता
पीछे छूटा जो साल गया
हो शुभ बहुत ये साल नया

दुख का दरिया पार किया और
खुशी के भी दो सीप चुने
दो पल खुशियाँ, ढेरों आँसू
हो कर मालामाल गया
गुज़र गया जो साल गया

कई सपने टूटे शाखों पर
कई रातें बीती आहें भर
माथे की सिलवट, सूजी आँखें
ले कर अपना हाल गया
गुज़र गया जो साल गया

पूरा हो हर स्वप्न सुहाना
सच्चा हो अब ख़्वाब पुराना
नए जहाँ में नयी उमंग से
बनेगा अब चौपाल नया
वो बीत गया जो साल गया
हो शुभ बहुत ये साल नया

मानोशी चटर्जी
1 जनवरी 2008

 
 

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