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अनुभूति में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएँ-


कविताओं में-
अंधेरे का मुसाफ़िर
एक सूनी नाव
तुम्हारे लिए
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
रात में वर्षा
व्यंग्य मत बोलो
विवशता
शुभकामनाएँ
सब कुछ कह लेने के बाद
सुरों के सहारे

संकलन में-
वसंती हवा- आए महंत वसंत
गाँव में अलाव - जाड़े की धूप
पिता की तस्वीर- दिवंगत पिता के प्रति
नया साल- शुभकामनाएँ

क्षणिकाओं में
वसंत समर्पण आश्रय

  सब कुछ कह लेने के बाद

सब कुछ कह लेने के बाद
कुछ ऐसा है जो रह जाता है
तुम उसको मत वाणी देना।

वह छाया है मेरे पावन विश्वासों की,
वह पूँजी है मेरे गूँगे अभ्यासों की,
यह सारी रचना का क्रम है,
बस इतना ही मैं हूँ,
बस उतना ही मेरा आश्रय है,
तुम उसको मत वाणी देना।

यह पीड़ा है जो हमको, तुमको, सबको अपनाती है,
सच्चाई है -
अनजानों का भी हाथ पकड़ चलना सिखलाती है,
यहा गति है - हर गति को नया जन्म देती है,
आस्था है-रेती में भी नौका खेती है,
वह टूटे मन का सामर्थ है,
यह भटकी आत्मा का अर्थ है,
तुम उनको मत वाणी देना।
वह मुझसे या मेरे युग से भी ऊपर है,
वह आदी मानव की भाति है भू पर है,
बर्बरता में भी देवत्व की कड़ी है वह,
इसीलिए ध्वंस और नाश से बड़ी है वह,

अन्तराल है वह - नया सूर्य उगा देती है,
नए लोक, नई सृष्टि, नए स्वप्न देती है,
वह मेरी कृति है
पर मैं उसकी अनुकृति हूँ
तुम उसको मत वाणी देना।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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