अनुभूति में
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएँ-
कविताओं में-
अंधेरे का मुसाफ़िर
एक सूनी नाव
तुम्हारे लिए
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
रात में वर्षा
व्यंग्य मत बोलो
विवशता
शुभकामनाएँ
सब कुछ कह लेने के बाद
सुरों के सहारे
संकलन में-
वसंती हवा- आए महंत वसंत
गाँव में अलाव -
जाड़े की धूप
पिता की तस्वीर- दिवंगत पिता के
प्रति
नया साल- शुभकामनाएँ
क्षणिकाओं में
वसंत समर्पण आश्रय
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शुभ कामनाएँ
नये साल की शुभकामनाएँ!
खेतों की भेड़ों पर धूल-भरे पाँव को,
कुहरे में लिपटे उस छोटे-से गाँव को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
जाते के गीतों को, बैलों की चाल
को,
करघे को, कोल्हू को, मछुओं के जाल को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस पकती रोटी को, बच्चों के शोर
को,
चौंके की गुनगुन को, चूल्हे की भोर को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
वीराने जंगल को, तारों को, रात
को,
ठण्डी दो बन्दूकों में घर की बात को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल
को,
सिगरेट की लाशों पर फूलों-से ख्याल को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल
को,
हर नन्ही याद को, हर छोटी भूल को,
नये साल की शुभकामनाएँ!
उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग
कार्ड लिखे,
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे,
नये साल की शुभकामनाएँ! |