अनुभूति में
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएँ-
कविताओं में-
अंधेरे का मुसाफ़िर
एक सूनी नाव
तुम्हारे लिए
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
रात में वर्षा
व्यंग्य मत बोलो
विवशता
शुभकामनाएँ
सब कुछ कह लेने के बाद
सुरों के सहारे
संकलन में-
वसंती हवा- आए महंत वसंत
गाँव में अलाव -
जाड़े की धूप
पिता की तस्वीर- दिवंगत पिता के
प्रति
नया साल- शुभकामनाएँ
क्षणिकाओं में
वसंत समर्पण आश्रय
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एक सूनी नाव
एक सूनी नाव
तट पर लौट आई।
रोशनी राख-सी
जल में घुली, बह गई,
बन्द अधरों से कथा
सिमटी नदी कह गई,
रेत प्यासी
नयन भर लाई।
भींगते अवसाद से
हवा श्लथ हो गईं
हथेली की रेख काँपी
लहर-सी खो गई
मौन छाया
कहीं उतराई।
स्वर नहीं,
चित्र भी बहकर
गए लग कहीं,
स्याह पड़ते हुए जल में
रात खोयी-सी
उभर आई।
एक सूनी नाव
तट पर लौट आई। |