वरदान यह दो
माँ मुझे वरदान यह
दो
कर सकूँ कल्याण जग का
हर सकूँ सन्ताप जन का
हर सकूँ अन्धकार वन मैं
देवि दीपक इक निधन का
अन्ध के तम पूर्ण उर की
दीप रेखा एक कर दो।।
आर्त दुख पीड़ित हृदय का
जल रहा प्रत्येक क्षण जो
गल रहा प्रत्येक पल जो
मर रहा हर साँस में जो
माँ मुझे ऐसे हृदय का
शान्ति का क्षण एक कर दो
माँ मुझे वरदान यह दो।। |