बाद मरने के
मेरे
बाद मरने के मेरे आ आ कर
कन्धे को सहारा क्यों देते
जीते जी कहीं दरिया दिल से
उंगली का सहारा दे देते
अब आज लाश पर झुक झुक कर
अल्फाज बड़े मीठे कहते
उस वख्त सिया क्यों होठों को
इक बात जुबाँ से कह देते
ज्यादा की तलब थी कब तुमसे
आँखों का इशारा काफी था
मैं मौत से अपनी लड़ लेता
जुल्फों का सहारा काफी था
आँखों में समन्दर भर भर कर
बेवखत दुहाई क्यों देते
बदवख्त घड़ी ही क्यों आती
गर हमसे मोहब्बत कर लेते।।
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