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अनुभूति में सुरेन्द्रनाथ मेहरोत्रा
की रचनाएँ —


तुकांत में-
आज के अर्जुन का आत्मबोध
आज कैसे गीत गाऊँ
नीति पथ
बाद मरने के
वरदान यह दो
शंकर का वरद पुत्

साहिल पे सफीना

मुक्तकों में-
तीन मुक्तक

संकलन में-

ज्योति पर्व में–नमन दीप को सौ सौ बार
दिये जलाओ–रात रात भर

 

बाद मरने के मेरे

बाद मरने के मेरे आ आ कर
कन्धे को सहारा क्यों देते
जीते जी कहीं दरिया दिल से
उंगली का सहारा दे देते

अब आज लाश पर झुक झुक कर
अल्फाज बड़े मीठे कहते
उस वख्त सिया क्यों होठों को
इक बात जुबाँ से कह देते

ज्यादा की तलब थी कब तुमसे
आँखों का इशारा काफी था
मैं मौत से अपनी लड़ लेता
जुल्फों का सहारा काफी था

आँखों में समन्दर भर भर कर
बेवखत दुहाई क्यों देते
बदवख्त घड़ी ही क्यों आती
गर हमसे मोहब्बत कर लेते।।
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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