साहिल पे सफीना
साहिल पे सफीना ले
आया
खुशियों को किनारे ले आया
मझधार पे रूठे माझी को
नगमात दिखाने ले आया।।
तेरा जिक्र किया था लहरों ने
लहरों को किनारे ले आया
तेरे रूप के चर्चे दिलकश थे
जलवात दिखाने ले आया।।
साहिल से लगी इस कश्ती को
बावख्त न बाजू दे पाए
ये डर है हवा के बेरुख से
साहिल पे न तूफां आ जाए।।
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