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अनुभूति में श्रीकृष्ण माखीजा की
रचनाएँ—

अंजुमन में-
ऐसा क्यों
ज़िन्दग़ी के फासले
ज़िन्दग़ी ख्वाब
जी रहा है आदमी
टावर पर प्रहार
कल क्या हो
ज़िन्दग़ी नाच रही

गीतों में-
क्या बताऊँ मैं तुम्हें
जिन्दगी एक जुआ
ज़िन्दग़ी के ग़म
हसीन राहों में

संकलन में—
ज्योति पर्व– दो दीप
दिये जलाओ– आज खुशी से      

 

ज़िन्दगी ख्वाब

ज़िन्दगी में हर किसी के ख्वाब सच होते नहीं
हसरतों के दाग़ दिल से हम कभी धोते नहीं

है सभी का हक कि कोई ख्वाब वो देखे कभी
आरज़ू ने जो जगाए ग़म कभी सोते नहीं

है दुआ दिल की यही ये मुस्कराना सीख ले
आँसुओं में जो पले हों वो कभी रोते नहीं

प्यार में मिलकर बिछड़ना खेल ही तो है मगर
जो मिला तकदीर से वो हम कभी खोते नहीं 

१६ अप्रैल २००४

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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