अनुभूति में
लावण्या शाह की
की रचनाएँ —
छंदमुक्त में-
कल
तुलसी के बिरवे के पास
प्राकृत मनुज हूँ
बीती रात का सपना
गीतों में-
जपाकुसुम का फूल
पल पल जीवन बीता जाए
संकलन में-
वसंती हवा–कोकिला
प्रेम गीत–प्रेम
मूर्ति
वर्षा मंगल –
अषाढ़ की रात
गांव में अलाव–जाड़े
की दोपहर में
गुच्छे भर अमलतास–ग्रीष्म
की एक रात
ज्योतिपर्व–दीप
ज्योति नमोस्तुते
दिये जलाओ–प्रीत
दीप
ज्योति पर्व
मौसम–
खिड़की खोले,
विजय प्रकृति श्री की
ममतामयी–अम्मा |
|
पल पल जीवन बीता जाए
पल पल जीवन बीता जाए
निर्मित मन के रे उपवन में
कोई कोयल गाए रे!
सुख के दुख के पंख लगाए
कोई कोयल गाए रे!
कहीं खिली है मधुर कामिनी
कहीं अधखिली चमेली भान बुलाए
कहीं दूब है हरी हरी कहीं भंवरा मंडराए रे!
भोग रहा मन कुछ क्षण मधुरम
विश्व प्रिये है कितना निर्मम
कुछ क्षण अपने सपने अपने
भोग रहा मन सुख के बन में
भयी कोयलिया मन की बंदी
तन के तन के निर्बल पिंजरे में
निर्मित मन के रे उपवन में कोई कोयल गाए रे!
|