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जपाकुसुम का फूल
झूम झूम झूम तू डाली पर झूम,
मन मेरे!
बन के, तू जपा कु्सुम का फूल!
डाली की हरियाली से तू
खेल–खेल खिल जा रे,
ओ मेरे मन, झूम तू, बन जपाकुसुम का फूल!
आज फिज़ा में फैला दे तू, अपनी चितवन का रूप,
बन पराग, उड़ा दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!
लाल लाल, कोमल पंखुरियां, अंजुरी भरी गुलाल,
रंग भीना, मन मानस तरसे, जपाकुसुम का फूल!
सांस, सांस, .मृदंग बजेगी, झाँझर की झालर झमकेगी,
रोली, कुमकुम, भर करे आरती, जपाकुसुम का फूल!
मेंहदी वाले हाथों में लाली, ढाले मदिरा प्याली प्याली,
रक्त–रंजित, सम्मोहिनी आभा ये जपाकुसुम का फूल!
हाथों पर, बिंदिया में, ढ़लता सूरज जैसे डूबे सागर में,
सिंदूरी लालिमा दूर दूर तक अरूणायी,
और ये जपाकुसुम का फूल खिला!
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