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अनुभूति में लावण्या शाह की
की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
कल
तुलसी के बिरवे के पास
प्राकृत मनुज हूँ
बीती रात का सपना

गीतों में-
जपाकुसुम का फूल
पल पल जीवन बीता जाए

संकलन में-
वसंती हवा–कोकिला
प्रेम गीत–प्रेम मूर्ति
वर्षा मंगल – अषाढ़ की रात
गांव में अलाव–जाड़े की दोपहर में
गुच्छे भर अमलतास–ग्रीष्म की एक रात
ज्योतिपर्व–दीप ज्योति नमोस्तुते
दिये जलाओ–प्रीत दीप
ज्योति पर्व
मौसम– खिड़की खोले, विजय प्रकृति श्री की
ममतामयी–अम्मा

 

जपाकुसुम का फूल

झूम झूम झूम तू डाली पर झूम, मन मेरे!
बन के, तू जपा कु्सुम का फूल!

डाली की हरियाली से तू खेल–खेल खिल जा रे,
ओ मेरे मन, झूम तू, बन जपाकुसुम का फूल!

आज फिज़ा में फैला दे तू, अपनी चितवन का रूप,
बन पराग, उड़ा दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!

लाल लाल, कोमल पंखुरियां, अंजुरी भरी गुलाल,
रंग भीना, मन मानस तरसे, जपाकुसुम का फूल!

सांस, सांस, .मृदंग बजेगी, झाँझर की झालर झमकेगी,
रोली, कुमकुम, भर करे आरती, जपाकुसुम का फूल!

मेंहदी वाले हाथों में लाली, ढाले मदिरा प्याली प्याली,
रक्त–रंजित, सम्मोहिनी आभा ये जपाकुसुम का फूल!

हाथों पर, बिंदिया में, ढ़लता सूरज जैसे डूबे सागर में,
सिंदूरी लालिमा दूर दूर तक अरूणायी,
और ये जपाकुसुम का फूल खिला!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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