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अम्मा
माँ! तुम चली गईं!
देह के बंधन सब तोड़
सारे रिश्ते नाते तोड़, छोड़
सीमित सीमाओं के पार,
जीर्ण शीर्ण देह के द्वार,
ममता का उजियाला बाल,
थके कदम से, मूंदे नयन से,
हमें छोड़कर गईं!
मां तुम चली गईं!
कौन कहेगा "बेटी,
सुन रही हो ना री?"
"हाँ, अम्मा, सुन रही हूँ!"
किससे अब, यह कहूँगी?
कर देना सारे अपराध क्षमा
अवहेलना या मनमुटाव भाव
उदार हृदय से, कर सब को क्षमा!
माँ! मैं हूँ तेरी बेटी!
ओ माँ! तुम क्यों चली गईं!
९ मई २००५
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