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अनुभूति में अशोक गुप्ता की रचनाएँ-

नई कविताएँ—
अजन्मी
चीं भैया चीं
लंबी सड़क

कविताओं में—
उन दिनों
कैसे मैं समझाऊँ
झूठ
ग़लती मत करना
गुर्खा फ़ोर्ट की हाइक
दादाजी
नदी के प्रवाह मे
पत्थर
पागल भिखारी
भाग अमीना भाग
माँ 
रबर की चप्पल
रेलवे स्टेशन पर
रामला

रेलवे स्टेशन पर

मैं कर्म्पाटमेंट के अंदर हूँ
एक कोहनी खिड़की पर टिकाए
तुम बाहर प्लेटफॉर्म पर खड़ी हो
मेरी पसंद की नीली साड़ी पहने

लगता है मैं फिर बारह साल का हूँ
बोर्डिंग स्कूल की ट्रेन में
डरा हुआ गले में दुखती गाँठ लिए
एक भयानक दुःस्वप्न की जकड़ में

तुम ट्रेन चलने का इंतजार कर रही हो
अपनी घड़ी दो बार देख चुकी हो
मैं नजर बचाकर आँसू पोंछता हूँ
वह तुम्हारा इंतजार कर रहा होगा

स्टेशन के बाहर
कि तुम कार में बैठो
और चैन की साँस ले कर कहो
''वह चला गया आखिरकार''

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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