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अनुभूति में अशोक गुप्ता की रचनाएँ-

नई कविताएँ—
अजन्मी
चीं भैया चीं
लंबी सड़क

कविताओं में—
उन दिनों
कैसे मैं समझाऊँ
झूठ
ग़लती मत करना
गुर्खा फ़ोर्ट की हाइक
दादाजी
नदी के प्रवाह मे
पत्थर
पागल भिखारी
भाग अमीना भाग
माँ 
रबर की चप्पल
रेलवे स्टेशन पर
रामला

कैसे मै समझाऊँ

क्या नज़दीकी या दूरी का
प्रिये है अपना यह नाता
कैसे मै समझाऊँ तुमको
मैं खुद समझ नही पाता

तुम सरहद के पार बसी हो
मैं हिन्दुस्तानी कहलाता
देश विदेश के बीच की सीमा
मैं खुद समझ नही पाता

तुमको हो गर ईद मुबारक
दीवाली दिन मुझको भाता
धर्म धर्म में भेद है कैसा
मैं खुद समझ नही पाता

बदली किसकी नदिया किसकी
क्या पर्वत बांटा जाता
इनसानों का खून बहे क्यों
मैं खुद समझ नही पाता

क्या नज़दीकी या दूरी का
प्रिये है अपना यह नाता
कैसे मै समझाऊँ तुमको
मैं खुद समझ नही पाता

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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