अनुभूति में
जया नरगिस की रचनाएँ—
कविताओं में-
कामयाबी का नग़मा
गीत मेरे
तमाशा
भाषा स्पर्श की
शगल
अंजुमन में-
आँगन की धूप
एक सच
खुशियाँ घायल
पतझड़ में बहारों की महक
शरद का चाँद
हैं अंधेरे
संकलन में-
धूप के पाँव-एक
गठरी आग
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शगल
घिर जाती है लड़की
रात के अंधेरे में
सुबह होने तक बेसाख़्ता
डराते हैं उसे ख़्वाबों के खौफ़नाक चेहरे
टपकता है
टूटकर तारा कोई
और अटक जाता है
लड़की के उलझे बालों में
जिसे वह घबराकर
छुड़ाती है हर दिन
सूरज की पहली किरणों की
कंघी से।
१ दिसंबर २००५
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