एक सच
एक सच बोलने की देरी है
फिर ये दुनिया तमाम तेरी है
चंद वादे हैं, उनकी यादें हैं
हाँ, ये जागीर ही तो मेरी है
हौसलों की शम्मा जब रोशन
फ़िक्र क्या रात, गर अंधेरी है?
छँट गया दुश्मनी का सब कोहरा
दोस्तों ने जो आँख फेरी है
इक दीवाने ने रेत पर 'नर्गिस'
ज़िंदगी की छवि उकेरी है।
१ दिसंबर २००५
|