अनुभूति में
जया नरगिस की रचनाएँ—
कविताओं में-
कामयाबी का नग़मा
गीत मेरे
तमाशा
भाषा स्पर्श की
शगल
अंजुमन में-
आँगन की धूप
एक सच
खुशियाँ घायल
पतझड़ में बहारों की महक
शरद का चाँद
हैं अंधेरे
संकलन में-
धूप के पाँव-एक
गठरी आग
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हैं अंधेरे
हैं अंधेरे लाख लेकिन इक दिया जलता तो है
तू नहीं है साथ यादों का तेरी साया तो है
कह रहा है मुस्कुरा के मुझसे मेरा आईना
इस पराए शहर में कोई तेरा अपना तो है
आज मायूसी को मेरी कुछ करार आ ही
गया
कोरा काग़ज़ ही सही पर उसने ख़त भेजा तो है
पूछता है दूसरों से हाल मेरा
बारहा
हो उसे इंकार लेकिन वास्ता रखता तो है
वो नहीं मैं जो सफ़र की
मुश्किलों से जाए डर
मंज़िलें मेरी नहीं तो क्या मेरा रस्ता तो है
कौन कहता है ज़माने का लहू
ठंडा हुआ
हादसा 'नर्गिस' यहाँ हर रोज़ इक होता तो है
१ दिसंबर २००५
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