खुशियाँ घायल
आज हुईं यों खुशियाँ घायल
दर्द-सा दिल में पाँव में पायल
जो कड़वा सच किसकी आहट
दिल में मची ये कैसी हलचल
टीस उठी लो फिर दिल धड़का
फिर लहराया याद का आँचल
बस्तीवाले वहशी क्यों हैं
पूछ रहे हैं आज ये जंगल
'नर्गिस' दिल और ग़म की हालत
बीच में नागों के हैं संदल
१ दिसंबर २००५
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