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अनुभूति में जया नरगिस की रचनाएँ—

कविताओं में-
कामयाबी का नग़मा
गीत मेरे
तमाशा
भाषा स्पर्श की
शगल

अंजुमन में-
आँगन की धूप
एक सच
खुशियाँ घायल
पतझड़ में बहारों की महक
शरद का चाँद
हैं अंधेरे

संकलन में-
धूप के पाँव-एक गठरी आग

भाषा स्पर्श की

आहटों का अर्थ, भाषा स्पर्श की
वो हृदय समझेगा जिसमें प्यार है

सृष्टि का कण-कण बँधा है स्नेह से
स्नेह मत विघटित करो संदेह से
ये तो प्रकृति का अमर उपहार है

यों लगेगा जग अगर ना स्नेह हो
रक्त बिन निर्जीव जैसे देह हो
प्यार है बस इसलिए संसार है

विष घृणा का डस न ले जीवन की बेल
स्नेह-रस चख लो हो मन से मन का मेल
प्यार करना स्वयं पे उपकार है।

१ दिसंबर २००५

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