अनुभूति में
दिविक रमेश की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
उनका दर्द मेरी जुबान
चेतावनी
लाठी
वह
किस्सा ही क्या जो चलता न रहे।
बालगीतों में-
उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है
किसको भैया कब है भाया
छोटी छोटी बातों पर
दादा की मूँछों से
हवा हिलाती
अंजुमन में-
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं
:छंदमुक्त में-
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन
क्षणिकाओं में-
हस्तक्षेप
संकलन में-
जग का मेला-
चीं चीं चूं चूं |
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लाठी
पूछता था जब दादा से
कि चलते हॆं क्यों आप
लिए लाठी
तो कहते
मारने के ही नहीं
खुरकाने के भी काम आती है लाठी ।
साहित्य में भी तो हॆं न
कोई आलोचक त्रिपाठी।
२२ अगस्त
२०११ |