अनुभूति में
दिविक रमेश की रचनाएँ-
बालगीतों में-
उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है
किसको भैया कब है भाया
छोटी छोटी बातों पर
दादा की मूँछों से
हवा हिलाती
अंजुमन में
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं
कविताओं में
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन
क्षणिकाओं में
हस्तक्षेप
संकलन में
जग का मेला-
चीं चीं चूं चूं |
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छोटी छोटी बातों पर
मां छोटी छोटी बातों पर
क्यों गुस्सा तुमको आ जाता ।
देखो न घर सारा अपना
बस गुस्से से है भर जाता ।
बजने लगते सारे बर्तन
हिलने लगती अरे रसोई ।
टीवी भी गुमसुम हो जाता
लगता दीवारें अब रोई ।
बहुत चाहती दूर रहूँ मैं
गुस्सू बातें नहीं करूँ मैं ।
कितनी तो कोशिश करती(ता) हूँ
गुस्सू बातें दूर रखूँ मैं ।
जाने फिर भी क्यों हो जाती
जिस पर गुस्सा तुम को आता ।
गुस्सा तुम पर हावी हो मां
नहीं ज़रा भी मुझको भाता ।
मां मैं बहुत प्यार करती (ता) हूँ
इसीलिए तो मैं डरती(ता) हूँ ।
गुस्सा होकर तुम पर भारी
कहीं बिगाड़े सेहत सारी !
१० मई २०१० |