अनुभूति में
दिविक रमेश की रचनाएँ-
बालगीतों में-
उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है
किसको भैया कब है भाया
छोटी छोटी बातों पर
दादा की मूँछों से
हवा हिलाती
अंजुमन में
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं
कविताओं में
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन
क्षणिकाओं में
हस्तक्षेप
संकलन में
जग का मेला-
चीं चीं चूं चूं |
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हवा हिलाती
हवा हिलाती
हिलते फूल
फूल पे बैठी तितली हिलती
हिलते हिलते पंख हिलाती
जी करता उनको मैं छू लूँ
हाथ बढ़ाने पर उड़ जाती
मानो पीछे मुझे बुलाती ।
हवा हिलाती
हिलती लहरें
नाव पे बैठा माझी हिलता
हिल हिल कर पतवार हिलाता
जी करता उस तक मैं जाऊँ
पर वह तो मस्ती में गाता
कितनी दूर नाव ले जाता ।
हवा हिलाती
मन भी हिलता
पलक पे बैठा सपना हिलता
हिल हिल कितने रंग दिखाता
जी करता सपना सच कर लूँ
पर वह तो हँसता हँसता सा
चुपके से जाकर छिप जाता ।
१० मई २०१० |