अनुभूति में
दिविक रमेश की रचनाएँ-
बालगीतों में-
उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है
किसको भैया कब है भाया
छोटी छोटी बातों पर
दादा की मूँछों से
हवा हिलाती
अंजुमन में
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं
कविताओं में
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन
क्षणिकाओं में
हस्तक्षेप
संकलन में
जग का मेला-
चीं चीं चूं चूं |
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दादा की मूँछों से
पूँछ उठा कर चोर के पीछे
खूब जोर से भों भों भागा ।
उठा उठा कर लम्बी टाँगे
उधर चोर भी सरपट भागा ।
बोल रहे थे जोर से दादा
नहीं छोड़ना चोर को भों भों ।
सुन कर "वेरी गुड" दादा से
और जोर से भागा भों भों ।
मगर चोर था पूरा बंदर
भों भों के वह हाथ न आया ।
पूँछ दबा थोड़ा शरमा कर
भों भों वापस घर को आया ।
लेकिन दादा की मूँछों से
टपक रही थी खुशियाँ ढ़ेर ।
भों भों को शाबासी देकर
बोले तुम तो सच्चे शेर ।
समझ न आया भों भों को तो
बोले दादा समझो भों भों ।
कोशिश करना बड़ी बात है
कोशिश करते रहना भों भों ।
१० मई २०१० |