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अनुभूति में दिविक रमेश की रचनाएँ-

अंजुमन में
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं

कविताओं में
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन

क्षणिकाओं में
हस्तक्षेप

संकलन में
जग का मेला- चीं चीं चूं चूं

  आए भी तो

आए भी तो आए जाने की तरह आप
चलिए निभाने को, आए तो सही आप

आई हवा और गिरा कर चली गई
तनकीद जंगलों की मगर कर रहे हैं आप

वह तो हँसा के राह पे अपनी निकल गया
दुनिया की नज़र में मगर दीवाने बने आप

धमका के गए आप ही चौपाल में हमें
खतावार फिर भी हमें कह रहे हैं आप

अब किसको क्या कहें, कहने का फायदा?
अपने बनाए जाल पर जब मर मिटे हैं आप

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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