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अनुभूति में श्यामसखा श्याम की रचनाएँ-

दोहों में-
मन (१६ दोहे)

नई ग़ज़लें-
उसको अगर परखा नहीं होता
क्या करता
जब मैं छोटा बच्चा था
गूँगे का बयान
दर्द तो जीने नहीं देता मुझे
दिल नहीं करता
हम जैसे यारों से यारी
तेरे शहर में
वो तो जब भी ख़त लिखता है

अंजुमन में-
आस इक भी
खुद से जुदाई
हैं अभी आए

 

उसको अगर परखा नहीं होता

उसको अगर परखा नहीं होता सखा
घर आपका टूटा नहीं होता नहीं सखा

मैंने तुझे देखा नहीं होता सखा
फिर चाँद का धोखा नहीं होता सखा

हर रोज़ ही तो है सफ़र करता मगर
सूरज कभी बूढ़ा नहीं होता सखा

इज़हार है इक दोस्ताना प्यार तो
इसका कभी सौदा नहीं होता सखा


उगने की खातिर धूप भी है लाजमी
बरगद तले पौधा नहीं होता सखा

२३ जून २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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