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अनुभूति में श्यामसखा श्याम की रचनाएँ-

दोहों में-
मन (१६ दोहे)

नई ग़ज़लें-
उसको अगर परखा नहीं होता
क्या करता
जब मैं छोटा बच्चा था
गूँगे का बयान
दर्द तो जीने नहीं देता मुझे
दिल नहीं करता
हम जैसे यारों से यारी
तेरे शहर में
वो तो जब भी ख़त लिखता है

अंजुमन में-
आस इक भी
खुद से जुदाई
हैं अभी आए

 

दर्द तो जीने नहीं देता मुझे

दर्द तो जीने नहीं देता मुझे
और मैं मरने नहीं देता उसे

धड़कनों पर सत पहरा उसका है
खुदकुशी करने नहीं देता मुझे

पर कतरा देता है मेरे इस तरह
वो कभी उड़ने नहीं देता मुझे

ख्वाब दिखलाता तो है उनमें मगर,
रंग भी भरने नहीं देता मुझे।

याद आ-आ कर उड़ा जाता है नींद,
खुशनुमा सपने नहीं देता मुझे।

मैं बिगड़ जाऊँ गवारा कब उसे
वो सुधरने भी नहीं देता मुझे

२३ जून २००८

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