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अनुभूति में श्यामसखा श्याम की रचनाएँ-

दोहों में-
मन (१६ दोहे)

नई ग़ज़लें-
उसको अगर परखा नहीं होता
क्या करता
जब मैं छोटा बच्चा था
गूँगे का बयान
दर्द तो जीने नहीं देता मुझे
दिल नहीं करता
हम जैसे यारों से यारी
तेरे शहर में
वो तो जब भी ख़त लिखता है

अंजुमन में-
आस इक भी
खुद से जुदाई
हैं अभी आए

 

जब मैं छोटा बच्चा था

जब मैं छोटा बच्चा था
सपनों का गुलदस्ता था

आज नुमाइश भर हूँ मैं
पहले जाने क्या-क्या था

अब तो यह भी याद नहीं
कोई कितना अपना था

आज खड़े हैं महल जहाँ
कल जंगल का रस्ता था

नाजुक कन्धो पर लटका
भारी भरकम बस्ता था

वो पगंडड़ी गई कहाँ
जिस पर आदम चलता था

तुझको पाने की खातिर
उफ़ दर-दर मैं भटका था
दर-दर मैं तो भटका था

२३ जून २००८

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