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अनुभूति में श्यामसखा श्याम की रचनाएँ-

दोहों में-
मन (१६ दोहे)

नई ग़ज़लें-
उसको अगर परखा नहीं होता
क्या करता
जब मैं छोटा बच्चा था
गूँगे का बयान
दर्द तो जीने नहीं देता मुझे
दिल नहीं करता
हम जैसे यारों से यारी
तेरे शहर में
वो तो जब भी ख़त लिखता है

अंजुमन में-
आस इक भी
खुद से जुदाई
हैं अभी आए

 

गूँगे का बयान

गूँगे का बयान था
या तीरो-कमान था

फरयाद सुनकर हुआ
हाकिम बेजुबान था

घर छोड़कर चला जो
उसे मिला जहान था

ख़्वाबों में था इक घर
मुकद्दर में मकान था

खेत बिका होरी का
शेष मगर लगान था

गोदाम सब थे भरे
भूखा बस किसान था

धरती थी प्रदूषित
मैला आसमान था

मिल गया ज़हर मुझे
मुकद्दर मेहरबान था

२३ जून २००८

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