हम जैसे यारों से यारी
हम जैसों से यारी
मत कर
खुद से यह गद्दारी मत कर
तेरे अपने भी
रहते हैं
इस घर पर बमबारी मत कर
रोक छलकती इन
आँखों को
मीठी यादें खारी मत कर
हुक्म उदूली का
खतरा है
फरमाँ कोई जारी मत कर
आना जाना साथ लगा
है
मन अपना तू भारी मत कर
खुद आकर ले जाएगा
वो
जाने की तैयारी मत कर
सच कहने की ठानी
है तो
कविता को दरबारी मत कर
'श्याम' निभानी
है गर यारी
फिर तो दुनियादारी मत कर
२३ जून २००८
|