अनुभूति में
डॉ.
मधु प्रधान की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
चुपके चुपके
जिंदगी मीठी गजल है
जुगनुओं की तरह
बैठे हैं हम आज अकेले
वो लम्हा
गीतों में-
आओ बैठें नदी किनारे
तुम क्या जानो
पीपल की छाँह में
प्रीत की पाँखुरी
प्यासी हिरनी
मेरी है यह भूल अगर
रूठकर मत दूर जाना
सुमन जो मन
में बसाए
सुलग रही फूलों की घाटी
अंजुमन में-
जहाँ तक नज़र
जेठ की दोपहर
नया शहर है
लबों पर मुस्कान
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चुपके
चुपके
चुपके - चुपके आई रात
कितने सपने लाई रात
महकी मेहँदी खिला महावर
छुप-छुप कर शरमाई रात
बदली के आँचल में हँसता
चाँद देख मुस्कायी रात
रिमझिम-रिमझिम बरसे बादल
जी भर आज नहाई रात
बदल गया मन का मौसम ‘मधु'
सुधि ने ली अँगड़ाई रात
१९ मई २०१४ |