अनुभूति में
बसंत ठाकुर की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अमन चाहिये
आते जाते
जबसे गिरी
है छत
दिखाई देता है
अंजुमन
में-
अब इस तरह
इंसानियत का पाठ
एहसास के पलों को
ऐ जिंदगी
ऐ खुदा बंदे को कुछ ऐसी
कातिलों को ये कैसी सजा
कोई छोटा न कोई
बड़ा आदमी
ख्वाब आता है
जाते हुए भी उसने
सुनामी से होता कहर |
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सुनामी से होता कहर
अब सुनामी से
होता कहर देखिये
मौत का आज हर दिल में डर देखिये
कल तलक बूँद पानी को तरसा किये
आज पानी में डूबा है घर देखिये
बूँद पानी की मांगी तो दरिया मिला
है दुआओं में कितना असर देखिये
हर जुबां कह रही दर्द की दास्ताँ
और दहशत में सारा शहर देखिये
मीठे सपने सजाये वो सोता रहा
आदमी मौत से बेखबर देखिये
३० जनवरी २०१२
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