अनुभूति में
बसंत शर्मा
की रचनाएँ-
मुक्तक में-
चार मुक्तक अंजुमन में-
कचरा
कहीं भीग जाये न
बेटियाँ
सिखाया आपने
हमसे रहा जाता नहीं
संकलन में-
बेला के फूल-
बगिया में बेला
ममतामयी-
उद्धार माँ कर दीजिये
मातृभाषा के प्रति-
सितंबर चौदह
मेरा भारत-
हे राम तेरे देश में
शुभ दीपावली-
जगमग मने दिवाली
ं
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सिखाया
आपने
गीत लिखना प्यार के मुझको सिखाया आपने
जिन्दगी क्या चीज है मुझको बताया आपने
बेवजह हम जा रहे थे राह थी अनजान सी
थाम कर ये हाथ मेरा जग दिखाया आपने
जब कभी मैं थक गया हिम्मत बॅंधाने के लिये
थपथपाकर प्यार से मुझको उठाया आपने
भूल जाने की ग़मों को सीख दी तुमने मुझे
सो रही उम्मीद को फिर से जगाया आपने
मतलबी संसार में भी हर खुशी मुझको मिली
प्रेम का इक फूल दिल में जब खिलाया आपने
साथ तुमने ही दिया था जब जरूरत थी मुझे
जब कभी रूठा अगर मैं तो मनाया आपने
याद आती है मुझे हर बात जो दिल छू गयी
प्यार मुझसे जो किया दिल से निभाया आपने
मन उमंगों से भरा सपने सभी पूरे हुए
गुनगुनाकर गीत मेरा जब सुनाया आपने
१५ जनवरी २०१६
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