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हे राम तेरे देश में, इंसानियत परतंत्र है
है शोरगुल चारों तरफ, हैवानियत स्वतंत्र है
जाने कहाँ है तू छुपा, संसार ये दुख से भरा
है लोभ लालच छा रहा, चारों तरफ षडयंत्र है
लेना यहाँ देना यहाँ, रिश्वत बिना जीना कहाँ
ईमान बिकता है यहाँ, अब भ्रष्ट सारा तंत्र है
देखो बहुत सम्मान है, अब चापलूसों का यहाँ
मिलती बहुत दौलत यहाँ, चमचागिरी ही मंत्र है
सारा जहाँ ही भागता, है जा रहा जाने कहाँ
संवेदनायें मर चुकीं, नर हो चुका अब यंत्र है
इज्जत गरीबों की नहीं, मजदूर है बचपन यहाँ
नारी कहीं भी लुट रही, लाचार ये जनतंत्र है
नेता मजे सब ले रहे, हैरान जनता हो रही
तू देख ले फिर भी यहाँ, ये चल रहा गणतंत्र है
- बसंत शर्मा
१७ अगस्त २०१५
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