अनुभूति में
बसंत शर्मा
की रचनाएँ-
मुक्तक में-
चार मुक्तक अंजुमन में-
कचरा
कहीं भीग जाये न
बेटियाँ
सिखाया आपने
हमसे रहा जाता नहीं
संकलन में-
बेला के फूल-
बगिया में बेला
ममतामयी-
उद्धार माँ कर दीजिये
मातृभाषा के प्रति-
सितंबर चौदह
मेरा भारत-
हे राम तेरे देश में
शुभ दीपावली-
जगमग मने दिवाली
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बेटियाँ
देश में परदेश में अब छा रहीं हैं बेटियाँ
हर ख़ुशी को आज घर में ला रहीं हैं बेटियाँ
बाग जो हमने लगाये थे यहाँ पर देख लो
फूल सबमें अब खिला महका रहीं हैं बेटियाँ
चाह है मजबूत उनकी राह है मुश्किल बहुत
चोटियों पर आज चढ़ती जा रहीं हैं बेटियाँ
काम उनका दिख रहा है नाम उनका हो रहा
फल यहाँ पर मेहनतों का पा रहीं हैं बेटियाँ
भावना है त्याग की सम्मान है सबके लिये
हर जगह सबके दिलों को भा रहीं हैं बेटियाँ
खेल हो विज्ञान हो चाहे सुरक्षा देश की
जिंदगी का हर तराना गा रहीं हैं बेटियाँ
१५ जनवरी २०१६ |