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  पेट भरते हैं

पेट भरते हैं दाल-रोटी से।
दिन गुज़रते हैं दाल-रोटी से।

दाल- रोटी न हो तो जग सूना,
जीते-मरते हैं दाल-रोटी से।

इतने हथियार, इतने बम-गोले!
कितना डरते हैं दाल-रोटी से!

कैसे अचरज की बात है यारो!
लोग मरते हैं दाल-रोटी से।

जो न सदियों में हो सका, पल में
कर गुज़रते हैं दाल-रोटी से।

लोग दीवाने हो गए हैं नदीम,
खेल करते हैं दाल-रोटी से।

१८ अगस्त २००८

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