यों तो संबंध
यों तो संबन्ध सहज से ही ज़माने से रहे
मन में अकुलाते मगर प्रश्न पुराने से रहे
द्वारिका जा के ही मिल आओ अगर मिलना है
अब किशन लौट के गोकुल में तो आने से रहे
बावरा बैजू भी शामिल हुआ नौरतनों मे
और फिर सारी उमर होश ठिकाने से रहे
प्यासे खेतों की पुकारों में असर हो शायद
मानसूनों को समन्दर तो बुलाने से रहे
सूखी नदियों पे बनाये हैं सभी पुल तुमने
अगले सैलाब में ये काम तो आने से रहे
२ अगस्त २०१०
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