उम्र कुछ इस तरह
उम्र कुछ इस तरह तमाम हुई,
आँख जब तक खुली, के शाम हुई।
जीना आसान हो गया, हर शय,
या हुई फ़र्ज़, या हराम हुई।
जिसको तुमसे भी कह सके न कभी,
आज वो दास्तान आम हुई।
सूखी आँखों से राह तकती है,
ज़िंदगी कैसी तश्नाकाम हुई!
दफ़्न बुनियाद में हुआ था कौन?
और तामीर किसके नाम हुई??
१५ जून २००९ |