पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ११. २०२१     

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन अभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

कंदील

 

 

उत्सव की खिड़की से डोलें
रह रह कर कंदील
अंजुरी भरे बताशे खील

लकदक लकदक लड़ियाँ चमकें
जगमग करें कुटीर
मन में उजियारा भरता इक
दीपक जले सुधीर
अल्पनाओं में हल्दी अक्षत
खींचें सुघर लकीर
हर चेहरे पर सजी हुई है
खुशियों की तस्वीर

मावस में उजियारा घोले
रह रह कर कंदील

छूट रही फुलझड़ियाँ आँगन
बाहर झरें अनार
छत पर चढ़कर दिये सजाए
सारा घर परिवार
श्री लक्ष्मी के चरण सुलक्षण
सदा पधारें द्वार
ऋद्धि सिद्धि संग गणपति बप्पा
बने रहें करतार

सुख समृद्धि की भाषा बोले
रह रह कर कंदील

- पूर्णिमा वर्मन

इस माह
दीपावली के अवसर पर

गीतों में-

bullet

अनामिका सिंह

bullet

अविनाश ब्यौहार

bullet

आभा खरे

bullet

आभा सक्सेना

bullet

आरती मिश्रा

bullet

कुमार गौरव अजीतेन्दु

bullet

गिरि मोहन गुरु

bullet

दिव्या राजेश्वरी

bullet

धर्मेन्द्र कुमार सिंह

bullet

पद्मा मिश्रा

bullet

पूर्णिमा वर्मन

bullet

मंजु गुप्ता

bullet

मधु संधु

bullet

मीना अग्रवाल

bullet

रंजना गुप्ता

bullet

राकेश खंडेलवाल

bullet

रामेश्वर प्रसाद सारस्वत

bullet

शरद तैलंग

bullet

शरद सिंह

bullet

शशि पुरवार

bullet

सुधा श्रीधर आचार्य

bullet

सुरेन्द्र कुमार शर्मा

bullet

हरिहर झा

bullet

-

अंजुमन में

bullet

अमित खरे

bullet

उमेश मौर्य

bullet

कुंतल श्रीवास्तव

bullet

परमजीत कौर रीत

bullet

भावना कुँअर

bullet

रामअवध विश्वकर्मा

क्षणिकाओं में-

bullet

आनंद खरे

bullet

उमाप्रसाद लोधी

bullet

मंजुल भटनागर

bullet

शैलेश गुप्त वीर

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन हाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
Google
प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन