१
पीर की ज्वाला जली है
सब कहें दीपावली है
कर रही कंदील
अँधेरे से सगाई
लग रहा उसको
उजाला अब छली है
२
जिन्दगी कन्दील जैसी
कुछ मिनट की
जल मरे परस्वार्थ में
हँसते हुए
आइए संकल्प लें
दीपावली पर
३
जूझना होगा अँधेरे से
जनम भर
इस तरह तो
देह होगी आग-पानी,
छोड़ जाना शान्त होकर
बावरी कंदील
दोहे, गीत, गजलों की निशानी
- उमा प्रसाद लोधी
१ नवंबर २०२१