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         कह रही कंदील


पीर की ज्वाला जली है
सब कहें दीपावली है
कर रही कंदील
अँधेरे से सगाई
लग रहा उसको
उजाला अब छली है


जिन्दगी कन्दील जैसी
कुछ मिनट की
जल मरे परस्वार्थ में
हँसते हुए
आइए संकल्प लें
दीपावली पर



जूझना होगा अँधेरे से
जनम भर
इस तरह तो
देह होगी आग-पानी,
छोड़ जाना शान्त होकर
बावरी कंदील
दोहे, गीत, गजलों की निशानी

- उमा प्रसाद लोधी

१ नवंबर २०२१

     

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