| अनुभूति में तसलीम अहमद 
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 |  | शौहर-बीवी गुथे एक-दूसरे में रस्सी सेन टूटे किसी अंधड़ तूफान से
 भुन जाए आग भीतपिश के बीच मुस्कान से।
 कभी-कभी ज़रूरऐंठन होती महसूस
 पानी में भीग कर
 या
 ज़्यादा खींचकर।
 जितना करते एक-दूसरे सेअलग होने की कोशिश
 सिमटते और शिद्दत से
 एक-दूसरे में रस्सी से।
 ६ अक्तूबर २००८ |