| अनुभूति में तसलीम अहमद 
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 शादी
 जीवन साथी
 |  | एस्केलेटर माँ जब व्यस्त थी काम मेंदादी ने झुलाया झूलना।
 नन्हीं गुड़िया ने रखा
 दरवाज़े से बाहर कदम
 दादी की उँगली पकड़कर।
 कब आई उसे नींद
 दादी की लोरी सुने बिन।
 जाडे की लंबी रातें और
 दादी की नरम-नरम कहानियाँ।
 छोटी-छोटी ज़िद और
 दादी की अठन्नी के साथ प्यारी-सी डांट।
 एक दिन,
 निकली घर से बाहर
 देखी दुनिया
 रंगीन, खुशनुमा, हज़ार रंग
 बढ़ गई आगे...।
 आज पाँच साल की गुड़िया
 अपना फर्ज़ निभा रही है,
 मॉल में दादी को एस्केलेटर पर चढ़ना सिखा रही है,
 ना,
 तीन पीढ़ियों के बीच की दूरी मिटा रही है।
 ६ अक्तूबर २००८ |