अनुभूति में
दीपिका ओझल की
रचनाएँ—
दोहे-
फ़कीर
कविताओं में—
काश
कैसे कहूँ
चंदा
तिमिर को चीर कर
तुहिन की बूँद
दीया
मन का मनका
मुश्किल
मैं पगली
सखी
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तुहिन की बूँद
हँसी अपनी दबा ली थी
धड़क दिल की छुपा ली थी
नैन के द्वार थे उढ़के
खुशी मुश्किल सँभाली थी
तुम्हारी आँख के जुगनू
मचल के जगमगाए थे
क्या थी शरारत दिल में
जो तुम मुस्कुराए थे
न तो कजरा हँसा मेरा
न बिंदिया मेरी मुस्काई
न झुमके ने शरारत की
न ही लट मैंने बिखराई
तुहिन की बूँद माथे पर
तुम्हारे क्यों छलक आईं?
२४ अप्रैल २००६ |