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रिश्ता
वह हैं गुमसुम से मगर,
दिल एक तूफानी समंदर
की तरह
मै हूँ चंचल, श्वेत,
बहती नदिया
की तरह
उनको पाना, छूना,
है एक ख्वाब की तरह
समंदर की लहरों
की तरह मुक्त हैं,
बँधते नही
किनारों में कभी.
मैं न्योछावर, समर्पित
हूँ एक पुजारन की तरह
मन में बसा के उन्हें,
मर्यादा में बहती हूँ,
किनारों से हमेशा
बँधके रहती हूँ मैं
फिर भी अपनी मीठास
उन में मिलाती हूँ मैं,
उन में समाकर,
उनकी खराश को
मिटाती हूँ मैं !!
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