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हर दीवाली की तरह इस साल भी
कईं दीपक जगमगाएँगे,
ढूँढ़ ही लूँगी उस दीपक को
हो गया है जो आँखों से ओझल
नहीं छिपा पाएगा अपनी रोशनी को,
जलाई है जिसने अनंत आस्था
पहुँच ही जाऊँगी उस तक
बची हुई किरन के
इस सिरे को पकड़कर
तय हो जाएगा फासला
इस ओर से उस ओर तक का
श्रद्धा है मन में
एक दीप इस दर पर भी
जला ही लूँगी!
-आस्था
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