स्वीकार
स्वीकार कभी
अधकचरा नहीं होता
स्वीकार यानी स्वीकार
कोई शर्त नहीं
कोई सौदा नहीं।
|
आस्था की
क्षणिकाएँ
|
नदी
नदी, हमेशा एकधारी
सागर की तरफ बहती
फिर भी वहीं की वहीं रहती
उसका लक्ष्य- निरंतर
सागर में समाना!
|
खुशी
बहुत सी खुशियों में छिपी,
अनदेखी, अनजानी-सी खुशी जब
अचानक मिल जाती है,
तब हर जगह हर पल
बस खुशी ही नज़र आती है। |
प्यार
जो कुछ भी है,
हमारे बीच,
वह प्यार है,
फ़र्क ये कि
ना तुम कहते हो
ना ही मैं!!
|
मिलन
मिलना, प्यार होना
और बिछड़ना,
सब नीयति के खेल हैं
तुम तो एक निमित्त मात्र थे।
|
एक पल
कभी कभी एक पल के साथ से
ज़िन्दगी भर की
खुशियाँ मिल जाती हैं
तो कभी
ज़िन्दगी भर साथ रह कर भी
पल भर की खुशी नहीं मिलती |
झूठ
जो बात नहीं कहनी
उसे मत कहो
पर
सच को छिपाने के लिए
झूठ कहना
ज़रूरी है क्या
|
प्रेम
ढाई आखर
दिल की हर बात का
वह
मूक सफ़र
|