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अनुभूति में डॉ. शैलेश गुप्त वीर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
उम्र मेरी कटी है
ज़ख़्म पर ज़ख़्म
झूठ गर बेनक़ाब
बात बात में
मन भीतर
मन में बोझ
महँगाई की मार

छंदमुक्त में-
आठ छोटी कविताएँ

संकलन में-
धूप के पाँव- गर्मी - दस क्षणिकाएँ
नया साल- साल पुराना
         नये वर्ष की कामना

अशोक- जीवन रहे अशोक
देवदारु- देवदारु - दस क्षणिकाएँ
संक्रांति- संस्कृति देती गर्व
शिरीष- शिरीष दस क्षणिकाएँ
होली है- राग रंग का पर्व‎‎

 

उम्र मेरी कटी है

उम्र मेरी कटी है गर्दिश में
आग पानी हवा की योरिश में

कैसे आज़ाद हो सकेंगे हम
ज़िन्दगी है हमारी बन्दिश में

मुझसे बिछड़ा था पिछले सावन में
याद आया वो अबके बारिश में

कैसे आख़ि़र मिले निजात मुझे
जल रहा हूँ ग़मों की आतिश में

‘वीर’तूफां हैं कितने पोशीदा
उसकी अब्रू की एक जुम्बिश में

१ जुलाई २०१८

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