अनुभूति में डॉ. सुनील जोगी की रचनाएँ-
नए मुक्तक
जोगी के पंद्रह मुक्तक
होली गीत
होली के रंग में
हास्य व्यंग्य में-
गांधी मत आना
प्यारे कृष्ण कन्हैया
बुढ़ापा मत देना हे राम
यारों शादी मत करना
सारे जहाँ से अच्छा
हमारी दिल्ली में
अंजुमन में- शहर-कुछ शेर
कविताओं में-
तब याद तुम्हारी
फागुनी हवाएँ
मेरी प्यारी बहना
रथयात्रा करिए
रसवंती शाम
दोहों में-
अध्यात्म के दोहे
छतरियों का त्यौहार
संकलन में-
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ-
तुम गए जब से
नया साल-देखो आया है साल नया
धूप के पाँव- सूरज का पारा गरम
ज्योति पर्व-जगमग है धरती का आँचल
मेरा भारत-तिरंगा गीत
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रथ-यात्रा करिए
पावस ऋतु में, पुरी जाइए
रथ यात्रा करिए
जगन्नाथ जी के चरणों में
अपना सर धरिए।
जगन्नाथ आ'ै बहन सुभद्रा
रथ पर डोल रहे
भाई जी बलभद्र मगन
सब जय-जय बोल रहे
सत्य की जीत हमेशा होती
असत्य से डरिए ।
चौहद मीटर उंचा
सोलह पहियों पर चलता
दस वर्ग फुट का चौड़ा रथ
ये मेहनत से ढलता
डेढ़ किलोमीटर तक
गुंडिचा मंदिर ले चलिए ।
सकल विश्व से लोग
उड़ीसा चलकर आते हैं
रथ-उत्सव में जगन्नाथ को
भोग लगाते हैं
आप पुरी में अपनी भी
इच्छा पूरी करिए ।
१६ जुलाई २००५
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