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अनुभूति में डॉ. सुनील जोगी की
रचनाएँ-

नए मुक्तक
जोगी के पंद्रह मुक्तक

होली गीत
होली के रंग में

हास्य व्यंग्य में-
गांधी मत आना
प्यारे कृष्ण कन्हैया
बुढ़ापा मत देना हे राम
यारों शादी मत करना
सारे जहाँ से अच्छा
हमारी दिल्ली में

अंजुमन में-
शहर-कुछ शेर

कविताओं में-
तब याद तुम्हारी
फागुनी हवाएँ
मेरी प्यारी बहना
रथयात्रा करिए
रसवंती शाम

दोहों में-
अध्यात्म के दोहे
छतरियों का त्यौहार

संकलन में-
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ- तुम गए जब से
नया साल-देखो आया है साल नया
धूप के पाँव- सूरज का पारा गरम
ज्योति पर्व-जगमग है धरती का आँचल
मेरा भारत-तिरंगा गीत

 

फागुनी हवाएँ

रंग लिए आती हैं फागुनी हवाएँ
आओ हम दोनों मिल प्रेम गीत गाएँ।

आँखों को भाया है हल्दी-सा रूप
हाथों में पिचकारी लाई है धूप
तन सूखे-सूखे हों मन भीग जाएँ।
आओ हम दोनों मिल प्रेम गीत गाएँ

फूलों ने भौंरों से माँगा पराग
चौपालें गाती हैं ढोलक पे फाग
सरसों की पाती को कैसे लौटाएँ।
आओ हम दोनों मिल प्रेम गीत गाएँ

मौसम ने खोले हैं खुशियों के द्वार
जागा है मन-मन में सदियों का प्यार
कलियों को संदेशे तितलियाँ सुनाएँ।
आओ हम दोनों मिल प्रेम गीत गाएँ

16 जुलाई 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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