अनुभूति में डॉ. सुनील जोगी की रचनाएँ-
नए मुक्तक
जोगी के पंद्रह मुक्तक
होली गीत
होली के रंग में
हास्य व्यंग्य में-
गांधी मत आना
प्यारे कृष्ण कन्हैया
बुढ़ापा मत देना हे राम
यारों शादी मत करना
सारे जहाँ से अच्छा
हमारी दिल्ली में
अंजुमन में- शहर-कुछ शेर
कविताओं में-
तब याद तुम्हारी
फागुनी हवाएँ
मेरी प्यारी बहना
रथयात्रा करिए
रसवंती शाम
दोहों में-
अध्यात्म के दोहे
छतरियों का त्यौहार
संकलन में-
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ-
तुम गए जब से
नया साल-देखो आया है साल नया
धूप के पाँव- सूरज का पारा गरम
ज्योति पर्व-जगमग है धरती का आँचल
मेरा भारत-तिरंगा गीत
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गांधी, मत आना
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना
सत्य, अहिंसा खोए अब तो खेल हुआ गुंडाना।
आज विदेशी कंपनियों का है भारत में ज़ोर
देशी चीज़ें अपनाने का करोगे कब तक शोर
गली-गली में मिल जाएँगे लुच्चे, गुंडे, चोर
थाने जाते-जाते बापू हो जाओगे बोर
भ्रष्टाचारी नेताओं को पड़ेगा पटियाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
डी.टी.सी. की बस में धक्का कब तक खाओगे
बिजली वालों से भी कैसे जान बजाओगे
अस्पताल में जाकर दवा कभी न पाओगे
लाठी लेकर चले तो 'टाडा' में फँस जाओगे
खुजली हो जाएगी जमुना जी में नहीं नहाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
स्विस बैंकों में खाता होना बहुत ज़रूरी है
गुंडों से भी नाता होना बहुत ज़रूरी है
घोटालों के बिना देश में मान न पाओगे
राष्ट्रपिता क्या, एम.एल.ए. भी ना बन पाओगे
'रघुपति राघव' छोड़ पड़ेगा 'ईलू ईलू' गाना
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
खादी इतनी महँगी है तुम पहन न पाओगे
इतनी महंगाई में कैसे घर बनवाओगे
डिग्री चाहे जितनी हों पर काम न पाओगे
बेकारी से, लाचारी से तुम घबराओगे
भैंस के आगे पड़े तुम्हें भी शायद बीन बजाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
संसद में भी घुसना अब तो नहीं रहा आसान
लालकिले जाओगे तो हो जाएगा अपमान
ऊँची-ऊँची कुर्सी पर भी बैठे हैं बैईमान
नहीं रहा जैसा छोड़ा था तुमने हिंदुस्तान
राजघाट के माली भी मारेंगे तुमको ताना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
होंठ पे सिगरेट, पेट में दारू हो तो आ जाओ
तन आवारा, मन बाज़ारू हो तो आ जाओ
आदर्शों को टाँग सको तो खूंटी पर टाँगो
लेकर हाथ कटोरा कर्जा गोरों से माँगो
टिकट अगर मिल जाए तो तुम भी चुनाव लड़ जाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
अगर दोस्ती करनी हो तो दाउद से करना
मंदिर- मस्जिद के झगड़े में कभी नहीं पड़ना
आरक्षण की, संरक्षण की नीति न अपनाना
चंदे के फंदे को अपने गले न लटकाना
कहीं माधुरी दीक्षित पर तुम भी न फ़िदा हो जाना।
अब देश में गांधी, मत आना, मत आना, मत आना।
16 जनवरी 2006
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