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अनुभूति में डॉ. तारादत्त निर्विरोध की रचनाएँ-

 

नए गीतों में-
एक अलग हाशिया
चितराम यादों के
शब्दों के पहरे
सुबह सुबह

गीतों में-
झरते हैं फूल-पात
थक गया हर शब्द
धूप की चिरैया
पानी का गीत
सुबह-सुबह

संकलन में-
ज्योतिपर्व- यादों के दीप
होली है- फागुन और बयार
 

 

झरते हैं फूल-पात

झरते हैं फूल-पात
डाली से,
गंधाते शूल हैं
मौसम की गाली से

एक नहीं गंध
एक नहीं राग-रंग,
सबके हैं
खिलने के
अलग-अलग ढंग
वृक्षों के
हालचाल
पूछें क्यों माली से

सूखे से कानन में
मलयज के गीत,
लगते बेमानी-से
अर्थहीन
लय के
शब्दहीन-संगीत

चलता है कामकाज
अक्षरों के राज में
शब्दों के हल्लो से,
अर्थों की ताली से

८ सितंबर २००८

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