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अनुभूति में सुरेन्द्र शर्मा की रचनाएँ—

नई रचनाओं में-
अंतिम पहर रात का
आओ ऐसा देश बनाएँ
पनघट छूट गया
बजता रहा सितार

गीतों में-
अरे जुलाहे तूने ऐसी
आँगन और देहरी

आरती का दीप
ओ फूलों की गंध
ओ मेरे गाँव के किसान
जिंदगी तुम मिली
जिंदगी गीत है
मन मंदिर में
राह में चलते और टहलते
सूत और तकली से

  आओ ऐसा देश बनाएँ

आओ ऐसा देश बनाएँ
जहाँ गरीबी टिक ना पाये।
कोई भी भूखा ना सोये
रोजगार सबको मिल जाये।

सोने की फसलें खनके औ'
हम सोना बनकर दिखलाएँ।
मन में लालच नहीं किसी के
ऐसा हिन्दुस्तान बनाएँ।

नेता नहीं भ्रष्ट हो अपने
सच हो सबके मनके सपने।
आशाओं के इन्द्रधनुष बन
सच्चा लोकतंत्र हम लाएँ।

सब हाथों को काम मिले औ'
इक दूजे का हाथ बँटाएँ।
नदियों से जोड़े नदियों को
सबके घर तक सड़के जाएँ।

बिजली पानी मिले सभी को
कोई ना वंचित रह पाये।
सुविधाएँ सब मिलें सभी को
श्रम का बीच मंत्र हो जाएँ।

अनपढ़ कोई रहे नहीं अब
साक्षरता की अलख जगाएँ।
शिक्षा ऐसी हो हम सब की
अच्छे जो इन्सान बनाये।

अपराधों की जगह नहीं हो
हिंसा भी मन में ना लाएँ
ऐसे पौधें रोपें मन में
राम राज्य की फसल उगाएँ।

२८ अप्रैल २०१४

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